tag:blogger.com,1999:blog-1061122214972196328.post460480837983727534..comments2023-09-22T22:04:50.552+05:30Comments on उम्मीद है....: मेरा कबूलनामा दिल से 8सुबोधhttp://www.blogger.com/profile/10810549312103326878noreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-1061122214972196328.post-55357186401551830602009-01-21T11:51:00.000+05:302009-01-21T11:51:00.000+05:30....सुबोध, वैसे तो तुम्हें जानते हुए एक अर्सा हो ग.......सुबोध, वैसे तो तुम्हें जानते हुए एक अर्सा हो गया।...लेकिन तुम्हें पढ़ते हुए लगता है कि तुम्हें पहचानने का सिलसिला अब शुरू हुआ है।....तुम्हारी जिन्दगी के कुछ पन्नों में स्याही भरते मैनें देखा है, सो बार-बार और करीब से जानने समझने तुम्हारे कबूलनामे में पहुंच जाता हूं।...फोन पर तुमसे बात हो न हो लेकिन उम्मीद से हर रोज बात होती है।....सिलसिला जारी रखना,...तुम्हारी कहानी जमाना गौर से सुन रहा है।<BR/> ----तुम्हारा आलोक.आलोक वर्माhttps://www.blogger.com/profile/11862967623569412662noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1061122214972196328.post-51067595175970411462009-01-21T11:50:00.000+05:302009-01-21T11:50:00.000+05:30....सुबोध, वैसे तो तुम्हें जानते हुए एक अर्सा हो ग.......सुबोध, वैसे तो तुम्हें जानते हुए एक अर्सा हो गया।...लेकिन तुम्हें पढ़ते हुए लगता है कि तुम्हें पहचानने का सिलसिला अब शुरू हुआ है।....तुम्हारी जिन्दगी के कुछ पन्नों में स्याही भरते मैनें देखा है, सो बार-बार और करीब से जानने समझने तुम्हारे कबूलनामे में पहुंच जाता हूं।...फोन पर तुमसे बात हो न हो लेकिन उम्मीद से हर रोज बात होती है।....सिलसिला जारी रखना,...तुम्हारी कहानी जमाना गौर से सुन रहा है।<BR/> ----तुम्हारा आलोक.आलोक वर्माhttps://www.blogger.com/profile/11862967623569412662noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1061122214972196328.post-21442204091478697462009-01-21T11:44:00.000+05:302009-01-21T11:44:00.000+05:30बेहतरबेहतरआलोक वर्माhttps://www.blogger.com/profile/11862967623569412662noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1061122214972196328.post-66416610775165351692009-01-21T04:03:00.000+05:302009-01-21T04:03:00.000+05:30सुबोध जी...बहुत अच्छी कोशिश है..बहुत कम ही लोग ऐसे...सुबोध जी...<BR/><BR/>बहुत अच्छी कोशिश है..बहुत कम ही लोग ऐसे होते है..जो अपने आप को खुद इस तरह रोज़ टाइम देते हो ..मतलब अपने आपको इतनी बारीकी से जानकर.. अपने आपको सही गलत के बीच खड़ा कर पाते हो...बहुत अच्छा लगा..आपका लेख पढ़कर ...सपने..खयाल और कोशिशे...सब एक दूसरे से होकर ही गुजरती है...तो बस कर्म करे..और आपका सपना आपकी मंजिल खुद आपके कदम चूंमेगी...ये मेरा मानना है..बस जरूरत है..लगे रहने की..बहुत अच्छा...हमेशा की तरह आपने उन्दा लिखा है..Anonymousnoreply@blogger.com