tag:blogger.com,1999:blog-1061122214972196328.post4913736071337746065..comments2023-09-22T22:04:50.552+05:30Comments on उम्मीद है....: अरे ट्राई नहीं किया क्या...सुबोधhttp://www.blogger.com/profile/10810549312103326878noreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-1061122214972196328.post-54998156468547713072008-05-26T13:36:00.000+05:302008-05-26T13:36:00.000+05:30सुबोध, जब तुम्हारे साथ काम कर रहा था तो मुझे ये तो...सुबोध, <BR/>जब तुम्हारे साथ काम कर रहा था तो मुझे ये तो महसूस हो गया था कि तुम्हारे अंदर लिखने की जिजीविषा है लेकिन इस कदर है ये तब जाना जब तुम्हारे ब्लॉग पर आया। वास्तव में मीडिया इस वक्त जिस दौर से गुजर रहा है, तुम्हारा लेख उसकी बेबाक तस्वीर पेश करता है। मुझे उम्मीद है कि तुम इसी तरह से लिखते रहोगे और हम सबका भी हौसला बढ़ाते रहोगे।अनिल कुमार वर्माhttps://www.blogger.com/profile/10635664667141503918noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1061122214972196328.post-84245357796286650202008-05-26T09:58:00.000+05:302008-05-26T09:58:00.000+05:30सुबोध जी,विचारों में जो पैनापन है ... बनाये रखिये ...सुबोध जी,<BR/>विचारों में जो पैनापन है ... बनाये रखिये ...Ritu Raj Guptahttps://www.blogger.com/profile/17523091170977514104noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1061122214972196328.post-29915309211559338372008-05-24T21:12:00.000+05:302008-05-24T21:12:00.000+05:30आपने सही लिखा है.....आज मीडिया में ऐसे ही लोगों की...आपने सही लिखा है.....<BR/>आज मीडिया में ऐसे ही लोगों की जरूरत है जो या तो बिकने वाली खबरें ला सकें या जिन्हें खबरों को बेचने का हुनर आता हो। शायद कोई ये काम नहीं करना चाहता लेकिन सभी खबरों से खेलते हैं... और यही हकीकत है। आरुषि मर्डर केस में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की भूमिका कुछ वैसी ही रही जैसे हिन्दी फिल्मों में विलेन की होती है। बेबसी यही है कि इतनी दर्दनाक मौत के बाद भी आरुषि को चैनलों ने नहीं बख्शा.... क्योंकि वो मरकर भी टीआरपी का एक दमदार जरिया बन गई।अनु गुप्ताhttps://www.blogger.com/profile/04850936250892615746noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1061122214972196328.post-81579218448876196442008-05-24T09:46:00.000+05:302008-05-24T09:46:00.000+05:30सुबोध भाई... कल तक मैं भी एक लेख लिखना चाह रहा था....सुबोध भाई... कल तक मैं भी एक लेख लिखना चाह रहा था... आरुषि पर मीडिया की अति सक्रियता को लेकर... लेकिन कल दोपहर २ बजे के बाद एक चैनल ने (आप जानते हो) जो हरकत की है... उसके बाद समझ नहीं आ रहा कि शर्म करूं की गुस्सा...देवेश वशिष्ठ ' खबरी 'https://www.blogger.com/profile/03089045465753357873noreply@blogger.com