सोमवार, 8 जून 2009

ये उदास वो उदास


रात उदास, दिन उदास

मन उदास,सब उदास

ये उदास, वो उदास

मैं उदास, तू उदास

सच उदास,हिम्मत उदास

हवा उदास,मौसम उदास

क्या कहें, क्या क्या उदास

( हबीब साहब की मौत की उदासी, जिंदगी की उदासी सी लगती है, शब्दों से कम हो जाए तो लिखा सार्थक समझिए)




5 टिप्‍पणियां:

Asha Joglekar ने कहा…

श्रध्दांजली ।

Udan Tashtari ने कहा…

श्रृद्धांजलि!!

ओम आर्य ने कहा…

श्रध्दांजली ।

देवेश वशिष्ठ ' खबरी ' ने कहा…

पहले हबीब जी,
फिर ओमप्रकाश आदित्य,
नीरज विश्वामित्र पुरी,
लाल सिंह गुर्जर,

उदासी सिर्फ बढ़ रही है दोस्त...
घटे, बस उम्मीद है
खबरी

काशिफ़ आरिफ़/Kashif Arif ने कहा…

एक बाद एक नुक्सान हो रहा है मंच को, देखो अब इन्की कमी पुरी होती है या नही



पहले हबीब जी,
फिर ओमप्रकाश आदित्य,
नीरज विश्वामित्र पुरी,
लाल सिंह गुर्जर,