देश बंटा, मसले हुए, मुल्क छूटा और दुनिया की तस्वीर में हिन्दु्स्तान और पाकिस्तान का अक्स भी शामिल हो गया। दोनो मुल्कों ने बंटवारे के लिए अपने अपने नायक और खलनायक भी तलाश लिए। जिन्ना भारत के लिए खलनायक बन गए और पाकिस्तान ने उन्हें अपना नायक घोषित कर दिया। सदी की सबसे बड़ी त्रासदी ने दुनिया का इतिहास दो मुल्कों के नजरिए में बांट दिया। चूंकि दोनो मु्ल्क अपने अपने इतिहास अपने नजरिए से लिख चुके थे सो बहस के रास्ते भी हमेशा के लिए बंद हो गए। लेकिन जसवंत के बहाने बहस के रास्ते फिर से खुले और आडवाणी के बाद दूसरी बड़ी कुर्बानी जसवंत को देनी पड़ी। जसवंत ने ये सवाल फिर से जिंदा कर दिया कि क्या विभाजन वाकई केवल जिन्ना की जिद्द का नतीजा था। या फिर नेहरु और पटेल भी इस बंटवारे के बराबर के जिम्मेदार थे। निश्चित तौर पर सवाल पेचीदा हैं। आरएसएस और बीजेपी नेहरु को विभाजन का दोषी ठहराती रही है, लेकिन उसे पटेल को कटघरे में खडा़ करने से एतराज है। ऐसा नहीं कि आरएसएस और बीजेपी ने अपने नजरिए से इतिहास में जाकर छेड़छाड़ नहीं की। उसने भी इतिहास को अपनी सहूलियत की हदों तक जाकर बदला है लेकिन इतिहास के सच का कसीलापन बीजेपी को बर्दाश्त नहीं। राम की राजनीति करने वाली बीजेपी जिन्ना के जिन्न से घबरा गई। फिलहाल जसवंत सिंह ने जिन्ना के बहाने बहस की जो गुंजाइश छोड़ी है उस पर बात करने की जरुरत है। ये जानने की जरुरत है कि कभी नमाज ना पढ़ने वाले जिन्ना को मजहबी देश की मांग के लिए किन हालातों में मजबूर होना पड़ा। साथ ही सवाल ये भी है कि विभाजन को लेकर अगर नेहरु के दिल में टीस थी तो उन्होने बंटवारे की लकीरों को मिटाने की कोशिश बाद के सालों में क्यों नहीं की। सच कड़वा है और जरुरत है सार्थक बहस की.
4 टिप्पणियां:
ईतने बुढे हो गए और अभी भी राजनीती ही करना है| जो 1-2 साल बाद रिटायर होते उनहे आज ही कर दिया और ईनके पास क्या कमी है? यह भी तो नही की बिजेपी से निकले तो नौकरी की कमी होगी :)))))))
is bahas ka hasil kya hoga subodh ji?
सुबोध जी...आज हम आप से लेकर सब ये सोच रहे है..कि जसंवत जी के साथ सही हुआ कि नहीं...पार्टी ने जो कहां वो सही है..कि नहीं पर आपके ब्लाग पर आये कमेन्टस से ऐसा लगता है...कि हमारी जनता को इससे खासा कोई लेना देना नहीं है...और ये बहस सिर्फ हम आपकी ही बहस बन कर रह गई है......ये भेड़ चाल वाली जनता है....इन्हें लेखन और इतिहास से क्या लेना देना..इनको को तो बहस महज बकवास ही लगेगी...फिर...
bahas aaj nahi to kal hogi hi...to hum hi kyon na kare.....
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