मंगलवार, 1 सितंबर 2009

'मोहल्ला' का कीचड़नामा

घटिया आलोचनाओं का इतना ऊंचा ज्वार उठेगा इसके बारे में सोचा नहीं था। मोहल्लेदारी इतने छिछले स्तर पर चली जाएगी इसका भी इल्म नहीं था। प्रभाष जोशी की आलोचना उसके बाद आलोक मेहता की छिछालेदर और अब आलोक तोमर की ऐसी तैसी। सब मिलाकर गाली गलौज का भरपूर इंतजाम। फिलहाल तो बौद्धिक लहजे में गरियाते गरियाते मोहल्ले में इतना कीचड़ तो हो ही गया है कि जिस पर मन हो उछाल दो। ऐसा नहीं की इस कीचड़ उछाल बौद्धिकता की शिकायत मैंने अविनाश जी से नहीं की। लेकिन शायद पाठकों की चाह में मेरी शिकायत अनसुनी हो गई। दरअसल किसी की निजी जिंदगी में तांकझांक करके आलोचनाओं की तथ्य खोज लाना बड़ा आसान है। प्रभाष जोशी, अविनाश जी और उनके सुर में सुर मिलाने वालों के लिए भले खलनायक हों। लेकिन हमारे जैसे नए लोगों ने उन्हें पढ़कर पत्रकारिता की ए बी सी डी सीखी है। जरुरी नहीं कि आपकी निजी सोच, आपकी व्यवहारिक जिंदगी से हमेशा मेल खाए। ऐसे में किसी पत्रकार या बुद्धिजीवी (खासकर वो जिसे पत्रकारिता या साहित्य के आदर्श होने की हैसियत हासिल हो) को उसकी निजी जिंदगी में तांकझांक करके कलंकित करना ठीक नहीं है। आप पत्रकारिता के आदर्शों (खैर अब तो रहे ही नहीं) को सब पर थोप नहीं सकते और ना ही सभी से ये उम्मीद कर सकते हैं। मोहल्ला का कीचड़नामा जारी है और अभी अभी पता चला है कि कीचड़ राजेन्द्र यादव पर उछलने के विधिवत कार्यक्रम का फीता कट चुका है।

5 टिप्‍पणियां:

antaryatri ने कहा…

patrkarita ko kothe par le jakar manege.

shalini rai ने कहा…

सुबोध जी.. आपने सही कहां कि मोहल्ले में इतना कीचड़ तो इकट्ठा हो ही गया है...कि जब जो चाहे किसी पर उछाल सकता है...बस आप उछालने की एक चाह भर करिये तो....लेकिन जहां तक मैं जानती हूं अविनाश जी ने बड़ी मेहनत की है...और फिर ऐसे ही तो नहीं मौहल्ला की टीआरपी बनी हुई है...ये सब महज़ टीआरपी का खेल है...दिल पर मत ले आर....

Saleem Khan ने कहा…

क्यूँ जनाब मेरा सॉलिड लेख भूल गए अरे वही जो मैने पिछले दिनों लिखा था..... न पढ़ा हो तो अब पढ़ लीजियो...

लिंक है मोहल्ला (ब्लॉग) मेरी टी.आर.पी. के टुकड़े खा रहा है (http://swachchhsandesh.blogspot.com/2009/08/mohalla-avinash-ban-saleem-since-last-3.html)

धन्यवाद कीचड़ उछालने के लिए...

बेनामी ने कहा…

yah nango ki jamaat hai jo kunthito ki trp bana rahi hai ek balatkari jo samaj sudhar ka pravachan de raha hai. jai ho das samprday ki

बेनामी ने कहा…

aswachh kaum ka solid lekh....
hahahaha
mohalle se bahar hokar bechara mansik santulan kho diya hai
hahaha