शुक्रवार, 18 सितंबर 2009

जिंदगी का एहसास

जिंदगी धूप की तरह है,
कभी हसीन लगती है,
कभी चुभती है,
कभी डूबते सूरज की तरह गुम हो जाती है।
जिंदगी उस फूल सी भी लगती है,
जो तमाम हसरतें लिए खिलता है
फिर मुरझा जाता है,
जिंदगी कुछ कुछ हवा के एहसास की तरह भी है
जो कभी ताजगी देता है
तो कभी गर्म थपेड़ों सा जान पड़ता है।
जिंदगी उस अधूरी कहानी सी है
जिसके पूरे होने का इंतजार
मुझे भी शिद्दत से है।
जिंदगी कुछ कुछ मां सी है
जिसके एहसास की गहराई को
मैं हर वक्त महसूस करता हूं।

4 टिप्‍पणियां:

संगीता पुरी ने कहा…

प्रकृति का हर वस्‍तु का एक सा स्‍वभाव .. कभी नजर आती तो कभी गुम होती .. और वैसी ही होती है हमारी जिंदगी भी .. बहुत बढिया लिखा !!

shalini rai ने कहा…

अच्छी कविता लिखी है..आपने जिन्दगी वाकई कई रंग ....कई पड़ाव लिए हुए है...

mehek ने कहा…

जिंदगी कुछ कुछ मां सी है
जिसके एहसास की गहराई को
मैं हर वक्त महसूस करता हूं।
kitni sunder gehre baat,zindagi ka ek ehsaas kafi hai,jeene ke liye.

Mera Dayra ने कहा…

बेहतरीन कविता.. जिंदगी के कई खूबसूरत रंग.. जो कभी तकलीफ हैं तो कभी सुकून हैं