गुरुवार, 6 मई 2010

निरुपमा...तुम खबर नहीं बन सकती !

आज मेरी जुबान लड़खड़ा रही है। मेरे गले से शब्द नहीं निकल रहे। मैंने कभी नहीं सोचा था कि अपने बीच से ही किसी को खबर बनते देखूंगा। कल तक जो निरुपमा मेरी एक दोस्त हुआ करती थी और दोस्त से ज्यादा मेरे करीबी दोस्त प्रियभांशु की होने वाली जीवनसंगिनी यानि हमारी भाभी, आज वो साल की सबसे बड़ी मर्डर मिस्ट्री बन चुकी है। मेरे सामने उसी निरुपमा पाठक की स्टोरी वाइस ओवर के लिए आती है। एक आम स्टोरी की तरह जब मैं इस स्टोरी को अपनी आवाज में ढालने की कोशिश करता हूं तो मेरी जुबान लड़खड़ाने लगती है। मेरे गले से शब्द नहीं निकलते। इस स्टोरी को पढ़ता-पढ़ता मैं अपने अतीत में लौट जाता हूं। मुझे याद आने लगते हैं वो दिन जब आईआईएमसी में प्रियभांशु और निरुपमा एकांत पाने के लिए हम लोगों से भागते-फिरते थे और हम जहां वो जाते उन्हें परेशान करने के लिए वही धमक जाते। हमारा एक अच्छा दोस्त होने के बावजूद प्रियभांशु के चेहरे पर गुस्से की भंगिमाएं होतीं लेकिन हमारी भाभी यानि नीरु के मुखड़े पर प्यारी सी मुस्कान। हम नीरु को ज्यादातर भाभी कहकर ही बुलाते थे हालांकि इसमें हमारी शरारत छुपी होती थी लेकिन नीरु ने कभी हमारी बातों का बुरा नहीं माना। उसने इस बात के लिए हमें कभी नहीं टोका। नीरु गाती बहुत अच्छा थी। हम अक्सर जब भी मिलते थे नीरु से गाने की फरमाइश जरुर करते और नीरु भी हमारी जिद को पूरा करती। शुरुआती दिनों में हमें इन दोनों के बीच क्या पक रहा है इस बारे में कोई इल्म नहीं था। बाद में एक दिन प्रियभांशु जी ने खुद ही नीरु और अपने सपनों की कहानी हमें बतायी। दोनों एक-दूसरे से बेइंतहा मोहब्बत करते थे। दोनों एक-दूसरे से शादी करना चाहते थे। दोनों अपने प्यार की दुनिया बसाने के सपने संजो रहे थे। मजे की बात ये कि प्रियभांशु बाबू भाभी की हर बात मानने लगे थे। आईआईएमसी के दिनों प्रियभांशु बाबू और मैं सुट्टा मारने के आदि हुआ करते थे। एक दिन जब मैंने प्रियभांशु से सुट्टा मारने की बात कही तो उसने ये कहते हुए मना कर दिया कि नीरु ने मना किया है। मतलब प्रियभांशु पूरी तरह से अपने आप को नीरु के सपनों का राजकुमार बनाना चाहता था। वो क्या चाहती है क्या पसंद करती है प्रियभांशु उसकी हर बात का ख्याल रखता। हालांकि उस वक्त हम उसे अपनी दोस्ती का वास्ता देते लेकिन तब भी वो सिगरेट को हाथ नहीं लगाता। अचानक वॉइस ओवर रुम के दरवाजे पर थपथपाने की आवाज आती है। मैं एकदम अपने अतीत से वर्तमान में लौट आता हूं। वर्तमान को सोचकर मेरी रुह कांप उठती है। मेरी आंखें भर आती हैं .टीवी स्क्रीन पर नजर पड़ती है और उस मनहूस खबर से सामना होता है कि वो हंसती, गाती, नीरु अब हमारे बीच नहीं है। समाज के ठेकेदारों ने उसे हमसे छीन लिया है।.नीरु अब हमारी यादों में दफन हो चुकी है। नीरू साल की सबसे बड़ी मर्डर मिस्ट्री बन चुकी है। वो मर्डर मिस्ट्री जिससे पर्दा उठना बाकी है। क्यों मारा गया नीरु को ? किसने मारा नीरु को?आखिर नीरु का कसूर क्या था ? क्या अपनी मर्जी से अपना जीवनसाथी चुनना इस दुनिया में गुनाह है? क्या किसी के साथ अपनी जिंदगी गुजारने का सपना देखना समाज के खिलाफ है? हमें मर्जी से खाने की आजादी है, मर्जी से पहनने की आजादी है, मर्जी से अपनी करियर चुनने की आजादी है तो फिर हमें इस बात की आजादी क्यों नहीं है कि हम किस के साथ अपनी जिंदगी बिताएं। आज ये सवाल मुझे झकझोर रहे हैं....
( अमित यादव आईएमएमसी के उसी बैच के छात्र हैं जिस बैच में निरुपमा थीं। निरुपमा और प्रियभांशु की दोस्ती और प्रेम का रास्ता अमित ने काफी करीब से देखा। जब प्रियभांशु और निरुपमा पर लिखी खबर का वाइसओवर करने का वक्त आया तो अमित का गला रुंध गया। दोस्त और उसके प्रेम का देखते देखते यूं खबर बन जाना किस कदर कचोटता है। ये अमित ने हमारे साथ साझा किया)

5 टिप्‍पणियां:

SANJEEV RANA ने कहा…

काश ये सब ना होता

सांसद जी ने कहा…

"हमें मर्जी से खाने की आजादी है, मर्जी से पहनने की आजादी है, मर्जी से अपनी करियर चुनने की आजादी है तो फिर हमें इस बात की आजादी क्यों नहीं है कि हम किस के साथ अपनी जिंदगी बिताएं"

- क्या माँ-बाप कुछ भी नहीं?
- क्या माँ-बाप-परिवार के प्रति कर्तव्य कुछ भी नहीं?
- क्या नैतिकता कुछ भी नहीं?
- शादी से पहले गर्भवती करने के लिये अधिक दोषी कौन, लड़का या लड़की?
- कितने ऐसे आधुनिक परिवार हैं जो अनब्याही बेटी के गर्भवती होने की खबर सुनकर खुशी से झूम उठते हैं?
- जितनी लानत-मलामत निरुपमा के परिवार की हो रही है, क्या उतने की 10 प्रतिशत भी प्रियभांशु के हिस्से आई है? नहीं आई तो क्यों नहीं आई, क्या वह जरा भी जिम्मेदार नहीं है इस घटना के लिये?

Arvind Mishra ने कहा…

घटनाक्रमों के चलते दो मानव जीवन स्वाहा हो गए ...क्या इसकी नैतिक जिम्मेदारी आपके कायर दोस्त पर नहीं है ?
यह समाज उसे माफ़ नहीं करेगा देख लीजियेगा !

vijay jha ने कहा…

निरुपमा की मौत क्या हुई धंधेबाज पत्रकारों की चांदी हो गया, हर कोई प्रगतिशील होने का दिखाबा कर रहा है. अपनी बहन और बेटी की शादी तो अपनी जाति और धर्म में ही करेगा, परन्तु यही बातें कोई बाप अपनी बेटी को पत्र में लिखता है तो ओ उसको धमकी दिखता है.अपनी बहन बेटी को तो बुरका में ढक कर रखेगा परन्तु पाठक की बेटी को एक बेहयाई संसथान का ब्याव्चारी लड़का सालों से बलात्कार करता रहा उसके नजर में उस लड़के का कोई दोष नहीं.
उलटा ये हल्ला बोलने बाले निरुपमा के माँ बाप पर ही उसके मौत का आरोप चिल्ला चिल्ला कर लगा रहे है, कहते है न की "चोर के दाढ़ी में तिनका"
जबकि वस्तुस्थिति चीख चीख कर कह रहा है की निरुपमा की मौत का कोई जिम्मेवार है तो ओ है प्रियभांशु प्रियभांशु प्रियभांशु -------------.
इस बेचारी लड़की के साथ सालों साल तक ये लड़का शादी का झांसा देकर बलात्कार करता रहा परन्तु अंत तक इसने निरुपमा से शादी नहीं किया, परिणाम हमारे और आपके सामने है एक बिन ब्याही माँ समाज और परिवार के मुंह दिखने के काबिल नहीं रही और मौत को गले लगा लिया. एक बात आप नोट करेंगे निरुपमा की मौत की खबर सबसे पहले दिल्ली से प्रियभांशु ने ही सबको दिया है, क्या प्रियभांशु को सपने आया था ? नहीं ये एक सुविचारित हत्या है और शक के घेरे में कोई है तो ओ है प्रियभांशु.

भाई एक बात तुम बताना तुम्हारा दोस्त ने तो निरुपमा से शादी नहीं किया था फिर ओ तुम्हारा भाभी कैसे हो गई. दूसरा क्या तुम लोंगो का संस्कार और तुम्हारे संसथान का क्या यही नैतिक मापदंड है जो तुम लोंगो ने निरुपमा के साथ किया है. तुम्हे लगता है तुम लोंगो के कुकर्म का फल तुम्हारे संसथान को भी भुगतना पड़ेगा, अब हर कोई माँ बाप अपने बच्चे को उस संसथान में पढ़ाने से पहले दस बार सोचेगा. जिस संसथान का नाम लोग गर्व से लेते थे उसे तुम लोंगो ने बलात्कारी संसथान बना दिया. थोडा शर्म करो शर्म करो शर्म करो ----------------------------.

shalini rai ने कहा…

फिर एक नई लड़ाई छेड़ दो दुनिया वालों ... निरूपमा केस आ गया बाजार में...हां और क्या आज भी सब आपस में एक दूसरे को दोषी ठहरा रहे है..कि ये गलत है..ये सही है...मेरा हर किसी से सवाल है..कि आप क्या हमेशा सही रहने या होने का दावा कर सकते है...गलती और गुनाह में फर्क है...और कोई भी किसी पर कुछ लाद नहीं सकता है...क्या कैसे हुआ..और कौन कुसुरवार है...जैसी चिजें सोचना बन्द करिए और भगवान के लिए अपनी रोटियां सेकना बन्द करिएं अब...................................