( आडवाणी से क्या कहा मोहन भागवत ने इसकी जानकारी हमारे संवाददाता विमल कांत के हाथ लगी है...इस इंटरव्यू को आरएसएस के एक निष्ठावान कार्यकर्ता ने हमें मुहैया कराया है...हम आपको इतना भर बता सकते हैं कि ये स्वयंसेवक बीजेपी में बड़ी हैसियत रखता है और आडवाणी का काफी बड़ा शुभचिंतक बताया जाता है तो सुनिए क्या कुछ कहा सुना गया जब भागवत आडवाणी से मिलने पहुंचे )
आडवाणी....प्रणाम
भागवत.....प्रणाम आईये बैठिए आडवाणी जी
आडवाणी....इन मीडिया वालों ने तो नरक काट दिया है भागवत जी
भागवत....और आप क्या काट रहे हैं पार्टी को भारतीय झगड़ा पार्टी बना रखा है
आडवाणी....आप मुझ पर क्यों नाराज हो रहे हैं मैं तो बोलता ही कम हूं और कभी बोल भी देता हूं तो बाद में तुरंत कह देता हूं कि मुझे याद नहीं
भागवत....जसवंत जी कह रहे थे कि आपको सब पता था
आडवाणी....आपको पता है कि मैं अपने मस्तिष्क पर ज्यादा भार नहीं डालता इतिहास की ऐसी कई घटनाएं हैं जो मुझे स्मरण नहीं है तो बताईये मैं क्या करूं
भागवत....तो आप कहना चाह रहे हैं कि आप भुलक्कड़ हो चुके हैं
आडवाणी....देखिए भागवत जी राजनीति को दूर से देखने और राजनीति में रहकर चीजों को समझने में अंतर होता है. राजनीति में लाभ की चीजों को याद रखना पड़ता है और हानि की चीजों को भूल जाना होता है
भागवत....फिलहाल आपको अभी अभी क्या याद है
आडवाणी....यही की मैं पार्टी की ओर से प्रधानमंत्री पद का सबसे योग्य दावेदार था हूं और रहूंगा...युवा हूं...लौह पुरुष पार्ट टू भी कहें तो मुझे कोई आपत्ति नहीं है
भागवत.... अब ये भी बता दीजिए कि आपको क्या क्या स्मरण नहीं है
आडवाणी....अगर आप मुझे नेता अपोजिशन का पद छोड़ने को कहेंगे तो थोड़ी देर बार ये आदेश स्मृति से लुप्त हो जाएगा. कंधार का मामले में मुझे सब पता था ये भी मुझे याद नहीं है...बाबरी मस्जिद को मेरे सामने गिरा दिया गया था ये भी मुझे याद होगा मुझे डाउट है...यही नहीं जिन्ना के संदर्भ में पाकिस्तान में मैं क्या क्या बोलकर आया था भागवत जी आपकी कसम खाकर कहता हूं वो भी स्मृति में धुंधला सा गया है
भागवत....अच्छा आप ये तो जानते हैं कि मैं कौन हूं
आडवाणी....जी ये तो आप पर निर्भर करेगा कि मैं क्या क्या याद रखूं क्या क्या भूलूं...मसलन आप इस्तीफा देने को कहेंगे तो मैं भूल सकता हूं कि आप कौन हैं...हा हा क्या करुं कम्बख्त मस्तिष्क भी
भागवत....आप स्वयंसेवक हैं ये तो याद है ना आपको
आडवाणी....हां मेरे मित्र बताते हैं कि इलेक्शन के टाइम तक जब संघ के सहयोग की आवश्यकता थी तो मुझे स्मरण था लेकिन चुनाव के बाद मैं भुल गया...अब आप मेरे पीछे पड़ गए हैं तो याद आ रहा है कि अभी हाल में आपने स्वयंसेवक संघ की बागडोर अपने युवा हाथों में संभाली थी
भागवत....जसवंत भी आप पर तमाम आरोप लगा रहे हैं आपको नहीं लगता कि पार्टी के साथ साथ आपकी छवि भी खराब हो रही है
आडवाणी.... भागवत जी मुंह ना खुलवाएं तो अच्छा होगा
भागवत....धमकी दे रहे हैं आप आडवाणी जी
आडवाणी....नहीं भागवत जी धमकी तो मैने आजतक किसी को नहीं दी आपको स्मरण होगा जब पार्टियामेट पर पाकिस्तान ने हमला कराया था तब भी हमने पाकिस्तान को देख लेने के सिवा कुछ नहीं किया...बंदरों की तरह आक्रमण की मुद्रा तो बनाई लेकिन कोई आक्रमण नहीं किया
भागवत....बुरा मत मानिएगा ये तो आपकी पुरानी आदत है
आडवाणी....हा हा हा हा संघ से जो सिखा वो देश को अर्पण करने में जुटा हूं
भागवत.... आडवाणी जी कब से खाकी नेकर धारण नहीं की
आडवाणी....स्मरण नहीं है जहा तक मुझे याद आता है है
भागवत....रहने दीजिए याद करने की जरुरत नहीं है बीजेपी नेताओं से कहिए सप्ताह में एक दिन खाकी नेकर आनिवार्य रुप से पहनें जिससे ये स्मृति में बना रहे कि वो संघ के कार्यकर्ता पहले हैं बाद में बीजेपी के
आडवाणी....आप भी नाहक इमोशनल होते हैं हमारे शिवराजजी और नरेन्द्र मोदी तो हमेशा ही खाकी नेकर धारण करते रखते हैं...
भागवत....तो इस्तीफा कब दे रहे हैं
आडवाणी....दे दूंगा...पहले प्रधानमंत्री बन जाऊं...पांच साल के कार्यकाल के बाद तो एक बार इस्तीफा देना पड़ता है राष्ट्रपति जी को सो तभी दे दूंगा...
भागवत....(हाथ जोड़कर) आडवाणी जी माफ कीजिए...जाइए बीजेपी की निष्ठावान नेताओं की लंबी कतार है...उनसे भी मिलना है
आडवाणी....नाराज मत होइये मुझे स्मरण है कि संघ.
भागवत....बस बस रहने दीजिए...और सुनिए अगर स्मरण रख पाएं तो रखिएगा कि बाहर मीडिया वाले भूखे कुत्ते की तरह माइक लिए आपके ऊपर लपकेंगे लेकिन आप कुछ बोलिएगा नहीं..
आडवाणी....ठीक है जैसी आपकी मर्जी...
आडवाणी....प्रणाम
भागवत.....प्रणाम आईये बैठिए आडवाणी जी
आडवाणी....इन मीडिया वालों ने तो नरक काट दिया है भागवत जी
भागवत....और आप क्या काट रहे हैं पार्टी को भारतीय झगड़ा पार्टी बना रखा है
आडवाणी....आप मुझ पर क्यों नाराज हो रहे हैं मैं तो बोलता ही कम हूं और कभी बोल भी देता हूं तो बाद में तुरंत कह देता हूं कि मुझे याद नहीं
भागवत....जसवंत जी कह रहे थे कि आपको सब पता था
आडवाणी....आपको पता है कि मैं अपने मस्तिष्क पर ज्यादा भार नहीं डालता इतिहास की ऐसी कई घटनाएं हैं जो मुझे स्मरण नहीं है तो बताईये मैं क्या करूं
भागवत....तो आप कहना चाह रहे हैं कि आप भुलक्कड़ हो चुके हैं
आडवाणी....देखिए भागवत जी राजनीति को दूर से देखने और राजनीति में रहकर चीजों को समझने में अंतर होता है. राजनीति में लाभ की चीजों को याद रखना पड़ता है और हानि की चीजों को भूल जाना होता है
भागवत....फिलहाल आपको अभी अभी क्या याद है
आडवाणी....यही की मैं पार्टी की ओर से प्रधानमंत्री पद का सबसे योग्य दावेदार था हूं और रहूंगा...युवा हूं...लौह पुरुष पार्ट टू भी कहें तो मुझे कोई आपत्ति नहीं है
भागवत.... अब ये भी बता दीजिए कि आपको क्या क्या स्मरण नहीं है
आडवाणी....अगर आप मुझे नेता अपोजिशन का पद छोड़ने को कहेंगे तो थोड़ी देर बार ये आदेश स्मृति से लुप्त हो जाएगा. कंधार का मामले में मुझे सब पता था ये भी मुझे याद नहीं है...बाबरी मस्जिद को मेरे सामने गिरा दिया गया था ये भी मुझे याद होगा मुझे डाउट है...यही नहीं जिन्ना के संदर्भ में पाकिस्तान में मैं क्या क्या बोलकर आया था भागवत जी आपकी कसम खाकर कहता हूं वो भी स्मृति में धुंधला सा गया है
भागवत....अच्छा आप ये तो जानते हैं कि मैं कौन हूं
आडवाणी....जी ये तो आप पर निर्भर करेगा कि मैं क्या क्या याद रखूं क्या क्या भूलूं...मसलन आप इस्तीफा देने को कहेंगे तो मैं भूल सकता हूं कि आप कौन हैं...हा हा क्या करुं कम्बख्त मस्तिष्क भी
भागवत....आप स्वयंसेवक हैं ये तो याद है ना आपको
आडवाणी....हां मेरे मित्र बताते हैं कि इलेक्शन के टाइम तक जब संघ के सहयोग की आवश्यकता थी तो मुझे स्मरण था लेकिन चुनाव के बाद मैं भुल गया...अब आप मेरे पीछे पड़ गए हैं तो याद आ रहा है कि अभी हाल में आपने स्वयंसेवक संघ की बागडोर अपने युवा हाथों में संभाली थी
भागवत....जसवंत भी आप पर तमाम आरोप लगा रहे हैं आपको नहीं लगता कि पार्टी के साथ साथ आपकी छवि भी खराब हो रही है
आडवाणी.... भागवत जी मुंह ना खुलवाएं तो अच्छा होगा
भागवत....धमकी दे रहे हैं आप आडवाणी जी
आडवाणी....नहीं भागवत जी धमकी तो मैने आजतक किसी को नहीं दी आपको स्मरण होगा जब पार्टियामेट पर पाकिस्तान ने हमला कराया था तब भी हमने पाकिस्तान को देख लेने के सिवा कुछ नहीं किया...बंदरों की तरह आक्रमण की मुद्रा तो बनाई लेकिन कोई आक्रमण नहीं किया
भागवत....बुरा मत मानिएगा ये तो आपकी पुरानी आदत है
आडवाणी....हा हा हा हा संघ से जो सिखा वो देश को अर्पण करने में जुटा हूं
भागवत.... आडवाणी जी कब से खाकी नेकर धारण नहीं की
आडवाणी....स्मरण नहीं है जहा तक मुझे याद आता है है
भागवत....रहने दीजिए याद करने की जरुरत नहीं है बीजेपी नेताओं से कहिए सप्ताह में एक दिन खाकी नेकर आनिवार्य रुप से पहनें जिससे ये स्मृति में बना रहे कि वो संघ के कार्यकर्ता पहले हैं बाद में बीजेपी के
आडवाणी....आप भी नाहक इमोशनल होते हैं हमारे शिवराजजी और नरेन्द्र मोदी तो हमेशा ही खाकी नेकर धारण करते रखते हैं...
भागवत....तो इस्तीफा कब दे रहे हैं
आडवाणी....दे दूंगा...पहले प्रधानमंत्री बन जाऊं...पांच साल के कार्यकाल के बाद तो एक बार इस्तीफा देना पड़ता है राष्ट्रपति जी को सो तभी दे दूंगा...
भागवत....(हाथ जोड़कर) आडवाणी जी माफ कीजिए...जाइए बीजेपी की निष्ठावान नेताओं की लंबी कतार है...उनसे भी मिलना है
आडवाणी....नाराज मत होइये मुझे स्मरण है कि संघ.
भागवत....बस बस रहने दीजिए...और सुनिए अगर स्मरण रख पाएं तो रखिएगा कि बाहर मीडिया वाले भूखे कुत्ते की तरह माइक लिए आपके ऊपर लपकेंगे लेकिन आप कुछ बोलिएगा नहीं..
आडवाणी....ठीक है जैसी आपकी मर्जी...
2 टिप्पणियां:
बढ़िया है। मगर लगता है आपके संपर्क ने आपको पूरी बातें नहीं बताईं।
प्रमोद ताम्बट
भोपाल
www.vyangya.blog.co.in
आडवाणी और बागवत की ये आपसी बात तो वाकई लाजवाब है...आडवाणी को अगर ऐसा ही है...तो जल्द राजनीति चोड़ देनी चाहिए...क्योकि अगर यही आलम रहा तो लोग उन्हें ज्यादा दिन राजनीति में बसे नहीं रहने देगें...क्यो सुबोध जी सही कह रही हूं ना मैं...
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