शहर में फायदों की बातें
बहुत सुनी हैं
लेकिन,
इन फायदों के बीच
नुकसान का एहसास
सबको है,
शहर की भीड़ में
खो जाने का एहसास
सबको है,
बाजार के बीच
ठगे जाने का एहसास
सबको है,
भागती सड़क पर
कुचलने का एहसास
सबको है,
फैशन के नये दौर में
पुराने हो जाने का एहसास
सबको है,
शहर में फायदों की बातें
बहुत सुनी हैं
लेकिन,
फायदों के बीच
अपनो से बिछड़ने का एहसास
सबको है
मैने निराशा में जीना सीखा है,निराशा में भी कर्तव्यपालन सीखा है,मैं भाग्य से बंधा हुआ नहीं हूं...राममनोहर लोहिया
रविवार, 2 सितंबर 2007
दहशतगर्द
उन्हें नहीं मालूम थे
तुम्हारे इरादे,
वो नहीं जानते थे
कि
तुम्हारी दुश्मनी
किससे है,
वो जानना भी नहीं चाहते थे
कि तुम ऐसे क्यों हो
लेकिन
फिर भी
तुमने उन्हे मार दिया
और
बता दिया
कि
तुम कायर हो
तुम्हारा
कोई भगवान नहीं
तुम्हारा
कोई अल्लाह नहीं
तुम कायरता की बैशाखी
पर
चलने वाले दहशतगर्द हो
(शनिवार,२५ अगस्त को हैदराबाद में बम धमाकों में तमाम मौतों के बाद लिखी कविता,ये शहर मेरे काफी करीब है,शायद अपने लखनऊ से भी ज्यादा)
तुम्हारे इरादे,
वो नहीं जानते थे
कि
तुम्हारी दुश्मनी
किससे है,
वो जानना भी नहीं चाहते थे
कि तुम ऐसे क्यों हो
लेकिन
फिर भी
तुमने उन्हे मार दिया
और
बता दिया
कि
तुम कायर हो
तुम्हारा
कोई भगवान नहीं
तुम्हारा
कोई अल्लाह नहीं
तुम कायरता की बैशाखी
पर
चलने वाले दहशतगर्द हो
(शनिवार,२५ अगस्त को हैदराबाद में बम धमाकों में तमाम मौतों के बाद लिखी कविता,ये शहर मेरे काफी करीब है,शायद अपने लखनऊ से भी ज्यादा)
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