गुरुवार, 31 जुलाई 2008

बस यूं ही


बारिश एक खूबसूरत शाम की तरह आती् है... और घोल देती है सारी थकान को अपने ठंडेपन के एहसास में...भीगते बच्चे कागज की नाव ना डूबने की जिद लिए घंटो पानी के साथ बहते रहते हैं...यही बारिश की वो खूबसूरती है...वो एहसास है...जो पसीने के बाद राहत की फुहारों के साथ आता है...ये सूकून सबका साझा होता है...