ठगी
अब कोई अपराध नहीं.. 
बदल चुकी है 
अब ठगी की परिभाषा..
लोगों के सुखों में अब शामिल है  
ठगे जाने का सुख.. 
बाजार के रास्तों पर हैं. 
अब ठगों की 
नई नई स्कीमें..
बच्चों की किताबों से लेकर 
मरीजों की
जिंदगी के सौदों के बीच 
हर जगह है 
ठगी का बाजार 
मजदूरों के पसीने 
से लेकर
किसानों की उम्मीदों 
तक हर जगह 
है 
ठगी का व्यापार  
शायद 
इसलिए नहीं है 
ठगी कोई 
अपराध
