मंगलवार, 18 अगस्त 2009

जसवंत को भुक्तभोगी का खत

जसवंत जी हम पर रहम खाइए। इतिहास को लेकर कम कन्फ्यूजन नहीं हैं जो आप भी कन्फ्यूज करने चले आए। खाकी नेकर वालों ने पहले ही हिस्ट्री को मिस्ट्री बनाकर रखा हुआ है। जिस तरह की आपकी ऐतिहासिक सोच है। उस तरह सोचने वाले और भी हैं। अब तो इतिहास जाति के खेमे तक मोल्ड हो चुका है। हर जाति का पर्सनल इतिहास हैं अपने एक्सक्लूसिव पूर्वज हैं। यकीन ना हो तो यूपी चले आईए। मायावती जी की लगाई हर मूर्ति के साथ इतिहास की नई इबारत चस्पा है। गांधी और नेहरु को लेकर आरएसएस वाले अपने शिशु मंदिर में पहले ही कम कन्फ्यूजन क्रिएट नहीं कर रहे। जसवंत जी समझ में नहीं आता कि जिन्ना से आपकी मोहब्बत इतने दिनों तक आपके दिल मे कैसे दफन रही। ऐसे कई मौके आए जब आप जिन्ना से अपनी मोहब्बत का इजहार कर सकते थे। शायद आप भी टाइमिंग के इंतजार में बैठे रहे होंगे। लेकिन आपकी टाइमिंग इस बार तो और गलत रही। पटेल और नेहरु को अपने ऐतिहासिक भ्रम में लपेट कर आप ना घर के रहे ना घाट के। जसवंत जी इतना तो तय है कि जिन्ना से इजहार ए मोहबब्त में आपको ना तो निशान ए पाक मिलने जा रहा है और ना ही इतनी महान ऐतिहासिक सोच पर बीजेपी आपको राजनाथ की जगह रिप्लेस करने जा रही है। काफी दिन पहले लॉफ्टर चैलेंज में एक कैरेक्टर बार बार यही कहा करता था कि उल्टा सोचो। सोचो की ये दिन नहीं रात है। लगता है कि आप भी ये खेल सिख गए हैं, और उल्टा सोच रहे हैं। फिलहाल मीडिया वाले तो आपकी किताब पर दिन भर पिले रहे। लगा कि किताब नहीं साक्षात इतिहास उतर रहा है। विवाद का एलीमेंट था सो चैनल वाले भी भूखे कुत्ते की तरह आपकी रचना के ज्ञानवर्धक तथ्यों से दर्शकों को बोर करते रहे। जसवंत जी आपकी किताब मार्केट में आ गई है सो झेलनी पड़ेगी। लेकिन पता लगाईये कि कहीं प्रवीण भाई तोगड़िया या फिर नरेंद्र दामोदर दास मोदी तो कोई किताब नहीं लिख रहे। या फिर आपकी पब्लिसिटी स्टंट के आपार सफलता के बाद विनय कटियार या फिर योगी आदित्यनाथ ने भी किताब लिखने का षड्यंत्र तैयार करना तो नहीं शुरु कर दिया है
आपकी किताब का भुक्तभोगी