जिंदगी धूप की तरह है,
कभी हसीन लगती है,
कभी चुभती है,
कभी डूबते सूरज की तरह गुम हो जाती है।
जिंदगी उस फूल सी भी लगती है,
जो तमाम हसरतें लिए खिलता है
फिर मुरझा जाता है,
जिंदगी कुछ कुछ हवा के एहसास की तरह भी है
जो कभी ताजगी देता है
तो कभी गर्म थपेड़ों सा जान पड़ता है।
जिंदगी उस अधूरी कहानी सी है
जिसके पूरे होने का इंतजार
मुझे भी शिद्दत से है।
जिंदगी कुछ कुछ मां सी है
जिसके एहसास की गहराई को
मैं हर वक्त महसूस करता हूं।
मैने निराशा में जीना सीखा है,निराशा में भी कर्तव्यपालन सीखा है,मैं भाग्य से बंधा हुआ नहीं हूं...राममनोहर लोहिया
शुक्रवार, 18 सितंबर 2009
गुरुवार, 10 सितंबर 2009
तुम्हारा न्यूज सेंस तुम्हे मुबारक

मंगलवार, 1 सितंबर 2009
'मोहल्ला' का कीचड़नामा
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