आदमी
हमेशा पहले से ज्यादा
मेहनत कर सकता है
कम से कम
कुछ दिनों की बंधी
दिनचर्या के बाद तो
यही लगने लगता है
कि कुछ बदलना चाहिए
पता नहीं
आदमी ज्यादा काम करता है
या वो माहौल बदलता है
लेकिन मानसिकता बदलने पर
जिंदगी में कुछ दिन
कुछ नया तो होता ही है
जिन्दगी जितनी पुरानी पड़ती जाती है
आदमी में कुछ नया करने की
ख्वाहिश उतनी बढ़ती है
खुद को छोड़ भी दें
क्योंकि ये तो अपने लिए है
अपनी ही बात है
फिर भी दूसरों के लिए
हर छोटा बड़ा आदमी जवाबदेह है
सबका काम हर एक से जुड़ा है
यही वजह है
कि हम कभी नया करना बेहतर करना
छोड़ नहीं सकते
( दीपक, २५ सितम्बर.०५ )
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