मैने निराशा में जीना सीखा है,निराशा में भी कर्तव्यपालन सीखा है,मैं भाग्य से बंधा हुआ नहीं हूं...राममनोहर लोहिया
शनिवार, 29 सितंबर 2007
चेहरों कि झुर्रियां
मेरे मां बाप के चेहरों कि झुर्रियां अक्सर मुझे मेरी जिम्मेदारियों का एहसास कराती हैं.. ये झुर्रियां बयां करती हैं उन तमाम जिंदगी के किस्से.. जहां रिश्तों के साए में.. दुलार और फिक्र के बीच.. एक कोना मेरा भी है..
2 टिप्पणियां:
भाई सुबोध जी
आपका प्रयास सराहनीय है
बहुत उम्दा भाव हैं, वाह!
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