गुरुवार, 14 अगस्त 2008

खुशी है छलक ही आती है


ये खुशी है...झूमती हुई...इठलाती हुई...सूरज की रोशनी से भी तेज भागती हुई...बचपन की ताजगी के बीच ये खुशी ऐसे ही छलकती रहे...हमेशा ये ताजगी बनी रहे...

2 टिप्‍पणियां:

अनिल कुमार वर्मा ने कहा…

सुबोध आज कल कुछ लिख नहीं रहे हो। क्या बात है। काफी दिनों से कोई बात भी नहीं हुई। कहां हो और तस्वीर के साथ खुशी की ये व्याख्या दिल को छू गई। लिखते रहा करों भाई।

बेनामी ने कहा…

excellent picture. man ko sukoon de gayi yeh tasveer. niche likhi lines bhi kamal hain. bhai hum aapke fan ho gaye.