मैने निराशा में जीना सीखा है,निराशा में भी कर्तव्यपालन सीखा है,मैं भाग्य से बंधा हुआ नहीं हूं...राममनोहर लोहिया
शुक्रवार, 16 जनवरी 2009
मेरा कबूलनामा...दिल से ७
भगवान से दो बातें
मैं आपको तुम कह सकता हूं ना...लगता तो है कि तुम इसकी इजाजत दे देगो..क्योंकि दुनिया तुम्हें दयालु मानती है...बताते हैं कि तुम दुनिया के कष्ट हरते हो..उनका कल्याण करते हो...लोग तो ये भी बताते है कि तुम कभी कभी उनसे मिलने भी आते हो...कई बाबाओं पर तुम्हारी इतनी कृपा है कि वो तुम्हारे बारे में ऐसे बताते हैं कि लगता है कि उनका उठना बैठना तुम्हारे साथ होता है ...खैर मेरी तुमसे एक कम्प्लेन है...ओहो तुम्हें अंग्रेजी नहीं आती..ऐसा मैं नहीं कहता तुम्हारे वो भक्त बताते हैं जो अक्सर तुम्हारे जैसे किसी गॉड का गिरजाघर तोड़ते हैं ..वो तो ये भी दावा करते हैं कि तु्म्हे अरबी और उर्दू भी समझ में नहीं आती...बस तुम संस्कृत के कठिन श्लोक समझ पाते हो... वो बताते हैं कि तुम्हारा कुछ लोग अपमान करते हैं...उनसे बदला लेना है ...वो तो ये भी कहते हैं कि तुम्हारे कई मंदिर तोड़ डाले गए..पता नहीं तुम उस वक्त खामोश क्यों रह गए...अगर समय रहते तुमने कुछ चमत्कार दिखाया होता तो आज तुम्हारे ये भक्त मस्जिद औऱ चर्च को हाथ भी नहीं लगाते ...फिलहाल ये तो सोशल टाइप की बातें हो गईं....चलो कुछ कुछ पर्सनल हो जाए..पता है ये सारी बातें क्यों कर रहा हूं तुमसे...दरअसल पिछले कुछ दिनों से परेशान हूं...और तुम जानते हो जब परेशानी होती है तो तुम अक्सर याद आ ही जाते हो...यू नो सुख में तु्म्हे याद करने की फुसरत नहीं निकाल पाता...सॉरी..लेकिन आज नेट पर बैठा था तो सोचा तुमसे बात कर ली जाए..पूछना ये था कि...लेकिन प्रॉमिस करो कि बुरा नहीं मानोगे...मुझे पता है तुम किसी बात का बुरा नहीं मानते...मुझे भले इस बात पर शक हो लेकिन लोग ऐसा कहते हैं... तुम बड़े दयालु हो...मुझे पता नहीं क्यों डाउट होता है...फिर कह रहा हूं बुरा ना मानना...लेकिन ठंड में जब कुछ लोगों को सड़क पर ठिठुरते देखता हूं...और कुछ लोग पिज्जा चाटते नजर आते हैं तो पता नहीं क्यों लगता है कि तुम कुछ पर बेवजह मेहरबान हो...और कुछ बेकसूरों को बेवजह सता रहे हो...फिर समझ में आता है कि जो कर्म करता है तुम उसी की मदद करते हो...लेकिन फिर मुझे वो लोग भी दिखते हैं जो ईमानदारी और सच्चाई का बोझ उठाने के बाद भी परेशान हैं...सर पर गारा ढोते लोग भी तो शायद मेहनत करते हैं...वो तुम्हे पता नहीं क्यों नजर नहीं आते...मुझे बार बार गोर्की नाम का वो नास्तिक याद आता है जो अपनी नानी के भगवान से डरता था..पता है क्यों क्योंकि उसकी नानी तुमसे डरा करती थीं...अब ये तो तु्म्हारी सरासर ब्लैकमेलिंग हो गई ना.. वैसे तुमने भी खुद को गजब का सेफ कर रखा है...अगर कोई तकलीफ में होता है तो कहता है कि तुम उसकी परीक्षा ले रहे हो..और उसकी खुशी के लड़्डू भी मस्त हो कर खाते हो...क्या बात है.. बस यही सब बातें तुमसे करनी थीं..सोचा कि मंदिर में जाकर ये बातें कहूंगा...लेकिन वहां तुमने पुजारी को पहरेदारी पर बैठा रखा है...मस्जिद और गिरजाघर का हाल भी यही है...इसलिए नेट पर तुमसे बातें कर रहा हूं...खैर शिकायतें तो बहुत हैं लेकिन फिर कभी..अभी नोएडा सेक्टर १९ में एक साध्वी आईं हैं..वो तुम्हारे बारे में बड़ी तल्लीनता से बता रही हैं...तुम्हारी कोई राजदार लगती हैं...नाम तो पता होगा साध्वी रितम्बरा..
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6 टिप्पणियां:
मस्जिद और गिरजाघर का हाल भी यही है...इसलिए नेट पर तुमसे बातें कर रहा हूं...खैर शिकायतें तो बहुत हैं लेकिन फिर कभी..अभी नोएडा सेक्टर १९ में एक साध्वी आईं हैं..वो तुम्हारे बारे में बड़ी तल्लीनता से बता रही हैं...तुम्हारी कोई राजदार लगती हैं.
वाह भाई बहुत ही रोचक लिखा है बढ़िया .
bahutsahi.one Night@the call centre ki yaad dila di.baat karte rahiye kuch na kuch haath Aayega.
रोचक कबूलनामा!
सुबोध जी
सोच रही हूं ...कि अब आपकी तारीफ में क्या लिखूं...मैं तो धीरे धीरे आपकी मुरीदं होती जा रही हूं...क्या गजब की सोच है..आपकी और उस पर शब्दों का चयन वाकई काबिले तारीफ है...
शालीनी
bahut gambhir pr rochak
इंसान कम थे, कि अब भगवान के पीछे....
खैर, कहते हैं जो दर्द दे, उससे दवा मांगने में बड़ा ही आनंद आता है। दवा मिल जाए तो दर्द दूर हो जाता है, और ना मिले तो अगला शर्मसार तो हो ही जाता है।
अब आप यह समझ ही गए हैं कि सभी दर्द के मूल में ईश्वर हैं, तो यह शिकायज लाजमी है...
वैसे अंदाजे बयां ऐसा है कि किसी इंसान से भी शिकायत करते तो वह बुरा नहीं मानता....भगवान तो खैर भगवान हैं...
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