रविवार, 6 जुलाई 2008

लादेन सही तो बुश कहां से गलत...


ये सच है मैने कुछ दिनों से ब्लॉग पर बहुत कुछ नहीं लिखा... जो लिखा साभार लिखा... दरअसल मेरे ख्याल से लिखना तभी चाहिए...जब आप लिखे को अपने अंदर पका लें... जो लिखे वो तर्कसंगत हो...बचकाना ना लगे...पहले पढ़ें फिर अपनी सोच बनाएं...लिखना तो बहुत बाद की बात है...मुझे लगता है मेरे जैसे युवा जिनके अभी तीस के होने में वक्त है... उन्हें बोलने और लिखने से ज्यादा फिलहाल सोचने और पढ़ने लिखने की जरुरत है... और शायद साभार लेखों के जरिए मैने यही कोशिश की है... पाकिस्तान में एक मुस्लिम के मंदिर को बचाने की जंग की कहानी इसी का हिस्सा थी... लेकिन इस लेख पर जो कमेंट आया... वो चौंकाने वाला तो नहीं था...लेकिन अफसोस लायक जरुर था... बंटवारे से लेकर आजतक मुसलमानों को लेकर जो कहा या सुना जा रहा है... उसे लेकर एक आम छिछलापन पूरी सोसायटी में दिखता है... और शायद इसीलिए पाकिस्तान की खुशहाली की बात करने वाला कोई भी इंसान हमारा दुश्मन हो जाता है... और हम बंटवारे और आतंकवाद के लिए उसे ही जिम्मेदार मान बैठते हैं... लेकिन सवाल इससे भी ज्यादा आगे जाते हैं... अगर प्रवीण तोगड़िया या बजरंग दल ठीक हैं तो लादेन कहां से गलत है....अगर सद्दाम सही था तो आप बुश को कहां से गलत कह सकते हैं....दरअसल एक कट्टरता को सही ठहराने की कोशिश में हम दूसरे की अतिवादिता को जाने अनजाने सही ठहरा देते हैं...यहीं से गलती शुरु हो जाती है... हमे समझना चाहिए कि एक की कट्टरता को सही साबित कर दूसरे की कट्टर सोच को गलत कैसे ठहराया जा सकता है...मसलन लादेन को गलत ठहराकर ही आप बुश को गलत साबित कर सकते हैं...जहां तक बात बंटवारे की है... उसके लिए कौन जिम्मेदार है...इस पर बहस काफी पुरानी है...लेकिन मुझे लगता है कि इतिहास को उस वक्त के हालात के बिना ना तो समझा जा सकता है...और ना ही बयां किया जा सकता है...

4 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

that's really cute..wish i had one too.

बेनामी ने कहा…

Ive read this topic for some blogs. But I think this is more informative.

बेनामी ने कहा…

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बेनामी ने कहा…

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